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Sunday, 9 December 2012

वक्त धोनी के जाने का


वक्त  धोनी के जाने का
वक्त अब एमएस धोनी के जाने का है। युवराज और हरभजन सिंह के अंदर अभी क्रिकेट बची है। धोनी के हेलिकाप्टर शॉट का समय अब नहीं रहा है। तकनीकी रूप से विकसित तो वे कभी रहे ही नहीं। तेंदुलकर, गांगुली, द्रविड जैसे पूर्व कप्तान धानी के अधीन खेलकर अपमानित होते रहे हैं, चूंकि इन लोगों ने अपने देश के लिए खेला, इसलिए देश जीता। पर धोनी शेर बनते रहे। जब भी देश को जरूरत होती है, धोनी दहाई में भी बामुश्किल पहुंचते हैं। फिर धोनी को कप्तान के रूप में कब तक ढोया जा सकता है। एकाध साल के लिए तेंदुलकर और उसके बाद हरभजन सिंह भज्जी को कप्तान बनाया जाना चाहिए। बाहर जाने के लिए अश्विन, गंभीर और सहवाग का समय है। भज्जी बाहर करने से पहले अपमानित हुए। दुनिया जानती है कि दूसरे टैस्ट में भज्जी को 18 ओवर देने में धोनी ने कैसा सताया। कहा गया कि भज्जी कप्तान का भरोसा खो चुका है। जिस व्यक्ति को चयनकर्ता चुनते रहे, उस पर कप्तान को भरोसा न करने का अधिकार किसने दिया। अब भज्जी तो तीसे टैस्ट से ही बाहर थे फिर उन्हें बिलकुल बाहर करके धीनी और चयनकर्ता क्या दिखाना चाहते हैं। अश्विन की तो गेंद ही घूम नहीं पाती। कह सकते हैं कि इस बार पारी की हार से अश्विन के कारण भारत बचा। इस तरह का बचाव तो भज्जी ने भी कई बार किया। पीयूष चावला को लेकर भी पता नहीं चयनकर्ता क्या दिखाना चाहते हैं। वे पहले ही फ्लाप रहे हैं। जाडेजा की वासी जरूर उनकी घरेलु प्रदर्शन को देखकर ठीक कही जा सकती है। अवाना को भी नए खिलाडी के तौतर पर लाना ठीक माना जा सकता है। पर चयनकर्ता को बडे बदालाव के लिए तैयार रहना होगा। उससे पहले तिकडमें करने वाले धोनी को चलता करना होगा। इस बात को अभी भी मानना होगा कि तेंदुलकर, विराट कोहली, भज्जी, युवराज, पुजारा मैच विनिंग प्लयेर हैं और उनमें काफी क्रिकेट बची है, इन्हें एक जुट करके ही टीम आगे बढानी होगी, वरन कुछ और हारें झेलने के लिए भारत को तैयार करना होगा। बच्ची और युवराज को बाहर करना बचकानी हरकत ही है।

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